भगवान महावीर के पांच अणुव्रत धारण करें -आचार्य विनिश्चय सागर जी

 




जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थंकर १००८ भगवान महावीर स्वामी के २५५० वें निर्वाण वर्ष राष्ट्रीय स्वयसेवक संघ भिण्ड नगर का एकत्रीकरण ऋषभ भवन पर आयोजित किया गया । जिसे जैनाचार्य विनिश्चय सागर जी महाराज ने सम्बोधित किया ।


आचार्य श्री ने कहा भगवान महावीर के द्वारा निर्देशित पंच अणुव्रत अहिंसा, सत्य, औचार्य, अपरिग्रह एवं ब्रह्मचर्य का सभी को अपने जीवन में पालन करना चाहिए । आचार्य श्री ने कहा कि भगवान महावीर का सन्देश न केवल मनुष्यों के लिए था अपितु प्राणी मात्र कुछ लिए था । यदि विश्व भगवान महावीर के बताये पंच अणुव्रतों के सिद्धांतों का पालन करे तो परमाणु हथियारों की आवश्यकता ही नहीं रहेगी । भगवान श्री राम और महावीर की शिक्षा एक ही है पद्म पुराण में भगवान श्री राम के संपूर्ण चरित्र का वर्णन है.. आचार्य श्री ने अपने बचपन की यादों को ताजा करते हुये कहा मैं भी  अपने परिवार के साथ संघ की शाखा में जाया करता था । मैं संघ के अनुशासन से अत्यधिक प्रभावित था । संघ में मनुष्यों में कोई भेद भाव नहीं किया जाता वहां सभी को समान आदर प्राप्त होता है । उन्होंने कहा कि भगवान महावीर के २५५०.वें निर्माण वर्ष में उनके सिद्धांतों को जन जन तक पह़ुचायें यही आज समय की आवश्यकता है ।


कार्यक्रम में माननीय विभाग संघचालक श्री नवल जी भदोरिया उपस्थित रहे संघ के विभाग प्रचारक श्री धनराज जी ने भी सभा को सम्बोधित किया उन्होंने कहा भारत के बिना विश्व के अस्तित्व की कल्पना नहीं की जा सकती.. और भारत की आत्मा सनातन धर्म में है ।


हमारी सनातन संस्कृति ही पूरे विश्व का कल्याण करने वाली है। जो त्याग और तपस्या की प्रतीक है जब पूरे विश्व में लोग खानाबदोश जीवन व्यतीत कर रहे थे तब भारत के  ऋषि मुनियों ने पूरे विश्व का मार्गदर्शन किया । आज इस भोगवादी संस्कृति को पुनः मार्गदर्शन करने का काम अध्यात्मिक शक्ति ही कर सकती है । 


कार्यक्रम में बड़ी संख्या में संघ के स्वयंसेवक नागरिक एवं मातृशक्ति उपस्थित थी ।

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