फ़िल्म रिव्यू "वन फ्राइडे नाइट"


फिल्म समीक्षक - गीत धीर

        28 जुलाई 2023 को जियो सिनेमा पर रिलीज हुई फिल्म वन फ्राईडे नाइट निश्चित रूप से एक मजबूत पटकथा और दमदार निर्दाशन, निर्दाशक मनीष गुप्ता ने जो दिखाने का प्रयास किया उसमें निश्चित रूप से वह सफल होते दिखाई दे रहे हैं अनुभव बोलता है मनीष गुप्ता ने सरकार फिल्म के डायलॉग भी लिखे हैं जिसमें अभिनय अमिताभ बच्चन जैसे बड़े कलाकार कर चुके हैं।

वन फ्राईडे नाइट फिल्म की कहानी में एक कॉर्पोरेट कंपनी के व्यक्ति को दिखाया है जिसके लिए एक फ्राइडे की शाम जब वह अपने शहर से बाहर बने अपने एक घर पर जाता है पर वहां से आगे क्या होगा उससे इसकी कल्पना भी नही है। कहानी हैप्पी मूड में चलते-चलते किस प्रकार से ट्विस्ट लेती है इस पर भी राइटर का अच्छा काम और समझदारी वाली सोच साफ देखने को मिलती है जो निश्चित रूप से प्रभावित करने के लिए काफी है।

अभिनय की बात की जाए तो मिलन सोमन ने कॉर्पोरेट कंपनी के व्यक्ति के किरदार को बखूबी निभाया है जहां एक तरफ हो अपने पटकथा के अनुसार कुशल अभिनय करते हुए एक समझदार व्यक्ति दिखाई दे रहे हैं वहां पर दूसरी ओर पटकथा के अनुसार ही बिना सोचे समझे जीवन में कहीं आगे बढ़ जाते हैं जिसके विषय में स्वयं भी नहीं जानते कि वो राहा उन्हें कहां ले जा रही है। 

अपने अनेकों वर्षों के अभिनय के अनुभव के आधार पर अभिनेत्री रवीना टंडन ने भी अपने पत्नी और डॉक्टर के किरदार के साथ में पूर्णता न्याय किया है पटकथा के अनुसार रवीना टंडन का ऑनस्क्रीन रोल भले ही थोड़ा कम रहा हो लेकिन दमदार रोल है और निश्चित रूप से उनके अभिनय ने उसे और दमदार बना दिया है यह फिल्म निश्चित रूप से देखने योग्य है और जीवन के कुछ अनकहे पहलुओं को अच्छे से दिखाने का प्रयास करती दिखाई देती है इसे प्रयास कहना इसलिए ठीक रहेगा क्योंकि जनता इस फिल्म को कितना पसंद करती है यह आने वाला वक्त ही बताएगा 

लेकिन निश्चित रूप से एक फिल्म समीक्षक के रूप में यह फिल्म 5 में से मेरे अनुसार 3.5 अंक प्राप्त करती है इस रेटिंग को और बेहतर बनाया जा सकता अगर दो चीजें जो मेरे को लगता है कि दर्शाना चाहिए था वह है पहली जिसमें पैसे का बैग पुलिस को मिलता है लेकिन वो पैसे के बैग में कौन रखता है और कैसे निकालता है यह नहीं दिखाया गया और दूसरा ऑडी गाड़ी घर में खराब खड़ी थी सिर्फ तार काट के और कैमरा निकाल कर इसका प्रमाण मिटाया जा सकता है 

यह भी कुछ पूर्णता हजम नहीं हो रही है बात क्योंकि आज के दौर में सड़कों पर टोल टैक्स भी आते हैं, घरों में, अन्य जगहों पर भी कैमरा रहता है तो प्रमाण बहुत कुछ हासिल हो सकते थे। यह दो बिंदुओं पर पटकथा में और बेहतरी से कार्य किया जा सकता था तो शायद रेटिंग और बेहतर हो जाती।

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