लखनऊ के कैसरबाग स्थित कोर्ट में बुधवार दोपहर पेशी पर आए बदमाश संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा की गोली मारकर हत्या कर दी गई। हमलावर वकील की ड्रेस में आया था। उसने दोपहर 3.50 बजे कोर्ट के अंदर 9 MM की पिस्टल से 5-6 राउंड फायरिंग की। हमले में जीवा की मौके पर मौत हो गई। जबकि एक बच्ची और दो पुलिसकर्मियों को गोली लगी है।
मौके से भाग रहे हमलावर को वकीलों ने पकड़ लिया। उसकी पिटाई की। पुलिस ने किसी तरह उसे वकीलों से छुड़ाया। हमलावर का नाम विजय यादव है। वह जौनपुर का रहने वाला है। उसने जीवा की हत्या क्यों की? इस बारे में अभी कुछ पता नहीं चल पाया है। कोर्ट को छावनी में तब्दील कर लिया है। वारदात के बाद वकील आक्रोशित हो गए। पुलिस से धक्का-मुक्की की। कई पुलिसकर्मी को गेट से बाहर निकालकर गेट बंद कर दिया।
पुलिस कस्टडी में था संजीव जीवा, 4-5 गोलियां मारी प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, पूरी वारदात 3.50 बजे से 3.55 बजे के बीच हुई है। संजीव जीवा को पुलिस कस्टडी में लेकर एससी/एसटी कोर्ट पहुंची थी। तभी वहां पहले से मौजूद हमलावर ने जीवा को टारगेट करते हुए फायरिंग शुरू कर दी। इससे वहां भगदड़ मच गई। जीवा कोर्ट में जमीन पर गिर गया। पूरी वारदात पांच मिनट में हो गई।
कुछ देर बाद मौके पर पहुंची पुलिस जीवा और तीन अन्य घायलों को बलरामपुर अस्पताल ले गई। सीएमएस डॉ. जीपी गुप्ता ने बताया कि जीवा को जब हॉस्पिटल लाया गया था, तब उसकी मौत हो चुकी थी। वहीं, 18 महीने की बच्ची लक्ष्मी को पीठ में गोली लगी है। उसकी हालत गंभीर है। उसे हायर सेंटर के लिए रेफर किया गया है। वहीं, एक पुलिसकर्मी के पैर में गोली लगी है। जबकि दूसरा भगदड़ में जख्मी हुआ है।
गाजीपुर की रहने वाली नीलम ने बताया, मैं बच्ची के साथ ससुर की पैरोकारी के लिए कोर्ट में आई थी। इस दौरान ही घटना हुई। बच्ची सो गई थी इसलिए मैंने उसे जमीन पर लिटाया था तभी अचानक से फायरिंग शुरू हुई। मैंने बच्ची को तुरंत गोद में उठाया और बाहर की ओर भागी। थोड़ी देर में ही उसके शरीर से खून निकलने का अहसास हुआ तब पता चला कि उसे गोली लगी है। एडवोकेट सुनील कुमार ने बताया कि करीब डेढ़ घंटे बलरामपुर अस्पताल में बर्बाद किए बाद में उसे ट्रॉमा सेंटर रिफर किया गया। फिलहाल बच्ची की हालत नाजुक है।
मुख्तार अंसारी का करीबी था जीवा:
जीवा मुख्तार अंसारी का करीबी था। वह लखनऊ जेल में बंद था। हाल ही में प्रशासन ने उसकी संपत्ति भी कुर्क की थी। जीवा मुजफ्फरनगर का रहने वाला था। शुरुआती दिनों में वह एक दवाखाने में कंपाउंडर की नौकरी करता था। बाद में उसी दवाखाने के मालिक को ही अगवा कर लिया था। इस घटना के बाद जीवा ने 90 के दशक में कोलकाता के एक कारोबारी के बेटे का भी अपहरण किया और फिरौती में दो करोड़ रुपए की मांग की। इसके बाद जीवा हरिद्वार की नाजिम गैंग से जुड़ा, फिर सतेंद्र बरनाला के साथ भी जुड़ा। वह खुद अपना भी एक गैंग बनाना चाहता था ।
भाजपा नेता ब्रह्मदत्त द्विवेदी नेता की हत्या में भी आया नाम:
जीवा का नाम 10 फरवरी, 1997 को हुई भाजपा के कद्दावर निता ब्रह्मदत्त द्विवेदी की हत्या में सामने आया था। इस केस में जीवा को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। इसके कुछ दिन बाद जीवा, मुन्ना बजरंगी गेंग में शामिल हो गया। इसी समय उसका संपर्क मुख्तार अंसारी से हुआ।
कहते हैं कि मुख्तार को अत्याधुनिक हथियारों का शौक था, तो जीवा के पास हथियारों को जुटाने का तिकड़मी नेटवर्क था। इसी कारण उसे अंसारी का सपोर्ट था। इसके बाद जीवा का नाम कृष्णानंद राय हत्याकांड में भी आया।
हालांकि कुछ सालों बाद मुख्तार और जीवा को साल 2005 में हुए कृष्णानंद राय हत्याकांड में कोर्ट ने बरी कर दिया गया। पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, जीवा पर 22 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हुए। इनमें से 17 मामलों में वह बरी हो चुका था, जबकि उसकी गैंग में 35 से ज्यादा सदस्य हैं। जीवा जेल से ही गैंग ऑपरेट करता था। उस पर 2017 में कारोबारी अमित दीक्षित उर्फ गोल्डी हत्याकांड में शामिल होने का भी आरोप लगा । इसमें जांच के बाद अदालत ने जीवा समेत 4 आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।