लोहड़ी त्योहार: पंजाबी सभ्यता का रंगीन पर्व

 


: गीत धीर

लोहड़ी एक प्रमुख पंजाबी त्योहार है जो पंजाब और हिन्दुस्तान के लगभग सभी प्रान्तों जैसे मध्यभारत, महाराष्ट, दिल्ली आदि के लोगों के लिए खास महत्व रखता है। यह त्योहार सर्दियों के मौसम में के जाते समय याने की 13 जनवरी को मनाया जाता है और इसे आग और धमाल से भरी धूमधाम से मनाया जाता है। लोहड़ी का त्योहार मकर संक्रांति के एक दिन पहले मनाया जाता है और इसे सूर्य की प्रसन्नता और फसलों की फसल का त्योहार माना जाता है।


लोहड़ी का मुख्य उद्देश्य फसलों की खुशहाली और खुशियों को साझा करना होता है। इसे धरती माता की कृपा का प्रतीक माना जाता है और लोग इस त्योहार के दौरान धन, समृद्धि और सुख-शांति की प्रार्थना करते हैं।


लोहड़ी की शुरुआत धुंधली धुंध में होती है, जब लोग एक साथ आग के चारों ओर बैठकर गाते हैं, नाचते हैं और खुशियों का जश्न मनाते हैं। लोग आग के चारों ओर पूजनीया के मक्का (पॉपकॉर्न), गुड़, मूंगफली आदि को डालते हैं और इसे जलाते हैं। इस रस्म को 'लोहड़ी माता की आग' कहा जाता है। लोग एक-दूसरे को गुड़ और गाजक, तिल के लड्डू भेंट करते हैं और एक-दूसरे को बधाई देते हैं।


इस त्योहार के मनाने के पीछे कई प्राचीन कथाएं और मान्यताएं जुड़ी हुई हैं। एक कथा के अनुसार, राजा दहेनु महाराज ने अपने पुत्र कुला और गुला को अंधविश्वास में बाढ़ से बचाने के लिए उन्हें बहावे के टूंग बहने के लिए छोड़ दिया था। उनके साथ संगठित भक्तों ने प्रार्थना की और धूप-चावल लेकर आग लगाई। इससे उन्हें बाढ़ से बचाया गया और उनके बचने के बाद लोग इसे लोहड़ी के त्योहार के रूप में मनाते हैं।


लोहड़ी के त्योहार में विशेष रूप से पंजाबी और सिन्धी लोगो के साथ साथ सभी वर्ग समुध्याए विशेष के हिन्दुस्तानी बड़े ही उत्साह से इसे मनाते हैं। लोग खुले मैदानों, अपने घरो के आँगन में, घरो की छतो में बैठकर अपनी बानी-गीत गाते हैं, नाचते हैं और हर्ष उल्हास के साथ धमाल करते हैं। यह त्योहार एक साथीत मिलने और खुशियों को साझा करने का अवसर भी प्रदान करता है।


लोहड़ी का त्योहार भारतीय समृद्धि और विविधता का:

मान्यता है कि जब प्रकृति माँ धरती पर अपनी विशेष कृपा बरसाती है, तो इसका शुभ संकेत होता है। जब फसलें प्रसन्नता से उगती हैं और खेतों में हरियाली बिखर जाती है, तो उस समय किसान और लोगों के दिलों में खुशी की लहर उमड़ती है। ऐसी खुशी का पर्व है 'लोहड़ी' जो पंजाबी सिंधी समाज के साथ साथ हिन्दुस्तानियों में एक बड़ा और उत्सवपूर्ण त्योहार माना जाता है। लोहड़ी के त्योहार में सभी लोग एकत्र होते हैं, जो भव्य और रंगीन ढंग से मनाया जाता है। इसे अग्नि पूजा के रूप में माना जाता है। इस अग्नि को लोहड़ी माता की आग कहा जाता है। लोग इसमें तिल, गुड़, गजक, मूंगफली आदि डालते हैं और इसे जलाते हैं। इसके साथ ही, बच्चे धूप-मक्का खाकर अपने गुरूजी भगवन को धन्यवाद करते है ।


लोहड़ी का त्योहार प्रत्येक वर्ष खास धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार हिन्दुस्तान की सांस्कृतिक धरोहर है का प्रतीत है और इसे बड़े ही उत्साह से मनाया जाता है। इस त्योहार के दौरान दोस्तों और परिवार के संग समय बिताना बहुत ही खास होता है।


लोहड़ी का त्योहार भारतीय समृद्धि और विविधता का प्रतीक है। यह एक तरह से समाज में एकता और समरसता को बढ़ावा देता है। इसके अलावा, यह त्योहार एकता की भावना को उजागर करता है और लोगों को एक-दूसरे के साथ जुड़ने का अवसर प्रदान करता है।


लोहड़ी के त्योहार का अपना एक अलग ही महत्त्व है, जो समृद्धि, खुशहाली और एकता का प्रतीक होता है। इसे मनाकर लोग नई ऊर्जा से भर जाते हैं और नए संकल्प लेते हैं। इसे मनाकर समाज में सौहार्द और समरसता का संदेश फैलाया जाता है।

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