फ़ैशन उद्योग से होने वाले पर्यावरण नुकसान को रोकना हमारा दायित्व




 'फ़ैशन और पर्यावरण' पर सम्वाद में विशेषज्ञ

भोपाल, 9 मई। आप अभी सीख रहे हैं और यही सही समय है अपने हूनर को संवारने का और डिज़ाइन  को पर्यावरण अनुकुल बनाने का। आज वक्त की ज़रूरत है कि आप अपने कपड़े तथा ब्रांड को संस्टेनेबल पद्धति से डिज़ाईन करें व इस हूनर को आगे बढ़ाएं। यह बात युवा उद्यमी - डिज़ाइनर तथा मुख्य वक्ता प्रकृति जैन ने शासकीय महिला पॉलीटेक्निक कॉलेज में आयोजित ईको फ़्रेंडली टोट बैग कार्यशाला के समापन में कही।
 
हैल्पबॉक्स फ़ाउंडेशन की अभिनव पहल 'मेरा शहर - मेरी ज़िम्मेदारी'  के अंतर्गत युवाओं को पर्यावरण अनुकुल कपड़े एवं वस्तुएँ बनाने व उन्हें लोगों को उपयोग हेतु प्रेरित करने के लिए इस कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस अवसर पर आयोजित "फ़ैशन और पर्यावरण" संवाद में क्रिस्प की डिज़ाइन संयोजक हिना अरशद ने कहा कि कपड़ों को डिज़ाईन करते समय उनमे कला, फ़ैशन, समाजिक व पर्यावरण मापदंडों को शामिल करना बेहतर रहेगा।
 
कार्यशाला के सह आयोजक सर्जना एकेडमी फ़ॉर डिज़ाइन एंड फ़ाइन आर्ट्स के सुनिल शुक्ल ने अपेरल व फ़ैशन इंडस्ट्री से पर्यावरण को होने वाले नुकसान से अवगत कराया। उन्होंने फ़ैशन उद्योग से होने वाले पर्यावरण नुकसान के वैश्विक आंकड़े प्रस्तुत करते हुए बताया कि:

दुनिया में हर साल 3 लाख 75 हज़ार करोड़ रुपये का कपड़ा बर्बाद होता 
हर सेकंड रद्दी कपड़े से भरा ट्रक फेंका जाता है
फ़ैशन उद्योग में उपयोग की जानेवाली 60 फ़ीसदी सामग्री प्लास्टिक होती है
इस उद्योग से 9.30 करोड़ घनमीटर पानी बर्बाद होता है जो 50 लाख की आबादी के लिए पर्याप्त है
तेल के बाद फ़ैशन उद्योग ही समुद्र को सबसे ज़्यादा प्रदूषित करता है
 
टोट बैग (थैला) डिज़ाइन प्रतियोगिता में क़रीब 60 छात्राओं ने र टोट बैग का निर्माण किया व उनको विभिन्न वेस्ट मटेरियल से डेकोरेट किया। कई स्टूडेंट ने प्राकृतिक रंगों से पेंट कर उन्हें आर्कषक भी बनाया।
 
ईको फ़्रेंडली टोट बैग डिजाईन प्रतियोगिता में क्रांतिराय प्रथम, अदिती गडेकर द्वितीय व अंजू चौधरी ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। हैल्पबॉक्स द्वारा आठ सांत्वना पुरस्कार तथा सभी प्रतिभागियों को सर्टिफ़िकेट भी प्रदाय किए गए।
 
कार्यक्रम की संयोजिका फ़ैशन टेक्नॉलाजी विभाग की संगीता सोनी व विभागाध्यक्ष अंजू चौरसिया ने कहा की ऐसी पर्यावरण कार्यशालाएँ व प्रतियोगिता कालेज में समय-समय पर आयोजित होगी तो छात्त्राओं को उससे बहुत लाभ होगा। अंत में आभार व्यक्त करते हुए हैल्पबॉक्स की कविता अवसरकर ने छात्रों को संस्टेनेबल डिज़ाईन बनाने के लिए सहयोग सहित हैल्पबाक्स के पर्यावरण अभियानों से जुड़ने के लिए आमंत्रित किया।





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